
जौनपुर: बीएलओ की मौत मामले में सरकार नहीं चेती तो सदन में मजबूती से मुद्दा उठाएगा विपक्ष: डॉ. रागिनी
जौनपुर: बीएलओ की मौत मामले में सरकार नहीं चेती तो सदन में मजबूती से मुद्दा उठाएगा विपक्ष: डॉ. रागिनी
सपा विधायक डॉ. रागिनी सोनकर ने मल्हनी निवासी मृत शिक्षक के परिजनों को बंधाया ढांढस
जौनपुर ( उत्तरशक्ति )। मछलीशहर की सपा विधायक डॉ. रागिनी सोनकर ने गुरुवार को मल्हनी निवासी मृत शिक्षक विपिन यादव के परिजनों से मुलाकात की। विधायक ने परिवार के लोगों से मिलकर शोक संवेदना प्रकट की। उन्होंने मृतक के माता-पिता को पूर्ण रूप से आश्वस्त किया कि यदि सरकार मौत के पीछे दोषी अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं करेगी तो विपक्ष सदन में यह मुद्दा उठायेगा। उन्होंने सरकार द्वारा विशेष गहन पुनरीक्षण की प्रक्रिया कम समय में ही आम जनमानस में बिना प्रचार- प्रसार के बीएलओ एवं जनता पर थोपने पर सवाल उठाया है। कहा कि इसके लिए सरकार को जनता के बीच जाकर इसके बारे में बताना चाहिए। बीएलओ को प्रशिक्षित करना चाहिए ताकि वह अच्छे ढंग से इस प्रक्रिया के बारे में जनता को समझा सकें। आम जनता के लिए सरकार को एसआईआर की प्रक्रिया की जानकारी एवं शिकायत के लिए टॉल फ्री नंबर जारी करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग की यह जिम्मेदारी है कि इसकी एक प्रणाली विकसित करे। इतना ही नहीं एक समिति का गठन भी करना चाहिए जहां बीएलओ अपनी समस्या एवं शिकायत दर्ज करा सकें और उनकी समस्या का समाधान हो सके। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रशासन आयोग की गाइडलाइन के मुताबिक काम न करके बीजेपी के एजेंट की भूमिका निभा रहा है। विधायक ने देश के विभिन्न राज्यों में हुई बीएलओ की मौत को प्रशासनिक हत्या करार दिया। देश के विभिन्न राज्यों में मृत बीएलओ परिवार के एक सदस्य को नौकरी, एक करोड़ मुआवजा सहित हर प्रकार के संरक्षण देने के लिए आवाज उठाई। उन्होंने कहा कि यदि सरकार इस गंभीर समस्या को लेकर आवश्यक कदम नहीं उठाएगी तो आने वाले समय में सभी बीएलओ के परिजन और सगे संबंधी मिलकर सरकार की तख्ता पलट करेंगे। उन्होंने विशेष गहन पुनरीक्षण प्रक्रिया को सभी बीएलओ और उनके परिजनों के लिए सदमा बताया। उन्होंने इसे सभी बीएलओ के लिए अमानवीय, असंवैधानिक एवं मशीनरी व्यवस्था बताया। उन्होंने नाराजगी जाहिर करते हुए चुनाव आयोग, सरकार और प्रशासन की निष्पक्षता पर सवाल उठाया है। कहा कि स्थानीय प्रशासनिक अधिकारियों के अत्यधिक दबाव एवं प्रताड़ना तथा निलंबन की धमकी को सहन न कर पाने के कारण विषाक्त पदार्थ खाकर आत्महत्या कर ली। डॉ रागिनी ने दोषी अधिकारियों के खिलाफ चुनाव आयोग से सख्त कार्रवाई की मांग की है।








