
मानी कलाँ:ज़िन्दगी का कोई भरोसा नहीं, जाने अनजाने में जो भी गलती हुई उसके लिए अपनी क़ौम से माफ़ी माँगता हूँ:अल हाज हाफिज रियाज अहमद ख़ान
डॉ.इम्तियाज अहमद सिद्दीकी सह-संपादक,उत्तरशक्ति हिन्दी दैनिक,जौनपुर ( उत्तर प्रदेश )
रियाजुल हक़ ब्यूरो
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मानी कलाँ:ज़िन्दगी का कोई भरोसा नहीं,
जाने अनजाने में जो भी गलती हुई उसके लिए अपनी क़ौम से माफ़ी माँगता हूँ:अल हाज हाफिज रियाज अहमद ख़ान
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मानीकलाँ,जौनपुर (उत्तरशक्ति)।शाहगंज क्षेत्र के क़स्बा मानीकलाँ में शुक्रवार को बड़ी जमा मस्जिद में जुमे की नमाज़ हाफिज मौलवी मोहम्मद अशहद कासमी ने अदा कराई ।
बगल में बैठे अल हाज हाफ़िज़ रियाज अहमद ख़ान इमामे जामा बड़ी मस्जिद ने जुमे की नमाज़ के बाद अपनी क़ौम को ख़िताब (संबोधित) किया ।उन्होंने कहा कि मैं तीन बार काफ़ी बीमार हो चुका हूँ।खुदा की तरफ़ से कब बुलावा आ जाए ,कब बुलावे की कॉल बेल बज जाए, किसी को कुछ पता नहीं है ।
हाफ़िज़ रियाज अहमद अपने( नाना)यानि कि मानीकलाँ बड़ी जामा मस्जिद के तीसरे इमाम मौलाना अमीनुद्दीन के दौर से मस्जिद के तामीरी काम, मदरसे के काम को लगभग 40 साल से अंजाम दें रहे है।वर्ष 2001 से मस्जिद की इमामत व ईदु-उल-फ़ितर, ईद -उल-अजहा के साथ साथ,निकाह,जनाज़ा के फ़रायेद बखूबी निभा रहे है ।
बगल में बैठे अल हाज हाफ़िज़ रियाज अहमद ख़ान इमामे जामा बड़ी मस्जिद ने जुमे की नमाज़ के बाद अपनी क़ौम को ख़िताब (संबोधित) किया ।उन्होंने कहा कि मैं तीन बार काफ़ी बीमार हो चुका हूँ।खुदा की तरफ़ से कब बुलावा आ जाए ,कब बुलावे की कॉल बेल बज जाए, किसी को कुछ पता नहीं है ।
हाफ़िज़ रियाज अहमद अपने( नाना)यानि कि मानीकलाँ बड़ी जामा मस्जिद के तीसरे इमाम मौलाना अमीनुद्दीन के दौर से मस्जिद के तामीरी काम, मदरसे के काम को लगभग 40 साल से अंजाम दें रहे है।वर्ष 2001 से मस्जिद की इमामत व ईदु-उल-फ़ितर, ईद -उल-अजहा के साथ साथ,निकाह,जनाज़ा के फ़रायेद बखूबी निभा रहे है ।
बहुत ही भावुक होकर व क़स्बा वासियो से उन्होंने कहा कि
जो भी काम करने में मुझसे गलती हुई है और जो भी मुझसे कोताही हुई है ।उसके लिए मैं माफ़ी चाहता हूँ ,और जो भी मेरे अख्तियार में है ,मैंने उसे माफ़ किया,और जो आपके अख्तियार में है आप उसे माफ़ करे ।
जाने अनजाने में मेरी तरफ़ से मस्जिद ,मदरसे या किसी और बातो को लेकर,मैंने किसी को अगर कुछ कहा सुना होगा तो उसके लिए मैं सभी से माफ़ी मांगना चाहता हूँ ।इसलिए की दुनिया की बात दुनिया में रह जाए तो बहुत ही बेहतर होता है ।खुदा बहुत बड़ा है वही सबको माफ करने वाला है ।इस लिए की अब ज़िन्दगी का कोई भरोसा नहीं है।
तीन बार आप लोगो की दुआ से और खुद के रहमोकरम से सेहतआब होकर आया हूँ । जिस तरह से मैं सारे कामो को अंजाम देता था उसी तरह से अब मेरे तीनों बेटे सारे काम को अंजाम दे रहे है ।ईद-उल-फ़िटर,ईद उल अज़हा, जुमा,,पाँचो वक्त की नमाज़,निकाह और जनाजा,मस्जिद मदरसे के तामीरी कामो को बखूबी अंजाम दे रहे । आगे भी इंशाल्लाह देते रहेगे,साथ साथ ही हिफ़्ज़,व एक से पाँच तक हिन्दी, उर्दू ,अरबी,अंग्रेजी,आदि के तालीमी कामो को बखूबी आगे बढ़ा रहे है ।
आख़िर में उन्होंने याद दिलाया कि हाफ़िज़ रियाज अहमद ख़ान का,किसी का कोई भी मेरे ऊपर किसी तरह का कोई भी क़र्ज़ हो और मुझे याद नहीं हो आप बराए मेहरबानी
बे-हिचक मुझसे बता दे, इस लिए दुनिया का लेन देन दुनिया में होना ही बेहतर है ।
जो भी काम करने में मुझसे गलती हुई है और जो भी मुझसे कोताही हुई है ।उसके लिए मैं माफ़ी चाहता हूँ ,और जो भी मेरे अख्तियार में है ,मैंने उसे माफ़ किया,और जो आपके अख्तियार में है आप उसे माफ़ करे ।
जाने अनजाने में मेरी तरफ़ से मस्जिद ,मदरसे या किसी और बातो को लेकर,मैंने किसी को अगर कुछ कहा सुना होगा तो उसके लिए मैं सभी से माफ़ी मांगना चाहता हूँ ।इसलिए की दुनिया की बात दुनिया में रह जाए तो बहुत ही बेहतर होता है ।खुदा बहुत बड़ा है वही सबको माफ करने वाला है ।इस लिए की अब ज़िन्दगी का कोई भरोसा नहीं है।
तीन बार आप लोगो की दुआ से और खुद के रहमोकरम से सेहतआब होकर आया हूँ । जिस तरह से मैं सारे कामो को अंजाम देता था उसी तरह से अब मेरे तीनों बेटे सारे काम को अंजाम दे रहे है ।ईद-उल-फ़िटर,ईद उल अज़हा, जुमा,,पाँचो वक्त की नमाज़,निकाह और जनाजा,मस्जिद मदरसे के तामीरी कामो को बखूबी अंजाम दे रहे । आगे भी इंशाल्लाह देते रहेगे,साथ साथ ही हिफ़्ज़,व एक से पाँच तक हिन्दी, उर्दू ,अरबी,अंग्रेजी,आदि के तालीमी कामो को बखूबी आगे बढ़ा रहे है ।
आख़िर में उन्होंने याद दिलाया कि हाफ़िज़ रियाज अहमद ख़ान का,किसी का कोई भी मेरे ऊपर किसी तरह का कोई भी क़र्ज़ हो और मुझे याद नहीं हो आप बराए मेहरबानी
बे-हिचक मुझसे बता दे, इस लिए दुनिया का लेन देन दुनिया में होना ही बेहतर है ।