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जौनपुर:खनन माफिया की करतूत: मिट्टी इतनी उठाई कि कुआं जमीन से 20 फीट ऊपर झूलने लगा

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डॉ.इम्तियाज अहमद सिद्दीकी सह-संपादक,उत्तरशक्ति हिन्दी दैनिक,जौनपुर ( उत्तर प्रदेश )
रियाजुल हक़ ब्यूरो

जौनपुर:खनन माफिया की करतूत: मिट्टी इतनी उठाई कि कुआं जमीन से 20 फीट ऊपर झूलने लगा

आसमान में टंगा कुआं और ज़मीर झकझोरती ख़ामोशी
जलालपुर,जौनपुर(उत्तरशक्ति)।जिले के जलालपुर क्षेत्र के केरांव गांव में एक हैरान कर देने वाला दृश्य सामने आया है। इंटरनेट मीडिया पर वायरल हो रही तस्वीरें और वीडियो में एक कुआं अब धरती पर नहीं, बल्कि जमीन तल से करीब 20 फीट ऊपर दिखाई दे रहा है। यह दृश्य न केवल आंखों को चौंकाता है, बल्कि व्यवस्था पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है।
बताया जा रहा है कि यह स्थिति अंधाधुंध मिट्टी खनन के कारण उत्पन्न हुई है। कुएं के चारों ओर की मिट्टी को इस कदर निकाला गया कि अब वह कुआं हवा में झूलता प्रतीत होता है। हालांकि दैनिक जागरण वायरल वीडियो की पुष्टि नहीं करता, लेकिन स्थानीय लोग इस स्थिति को खनन माफिया की लूट और सरकारी तंत्र की निष्क्रियता का नतीजा बता रहे हैं।
ज़मीन से उठता कुआं, प्रशासन की चुप्पी
स्थानीय निवासी रामाश्रय के अनुसार, रात 9 बजे से सुबह 4 बजे तक लगातार मिट्टी की खुदाई होती है। उनका घर खनन स्थल से महज 50 मीटर दूर है। उन्होंने बताया कि रातभर जेसीबी और ट्रैक्टरों की आवाज़ से सोना मुश्किल हो गया है, लेकिन गांव का प्रधान भी मौन है।वहीं गांव की एक अन्य निवासी, शांति, ने बताया कि उनके खेत से सटी बंजर सरकारी ज़मीन की भी मिट्टी माफियाओं द्वारा निकाल कर बेच दी गई है।पुलिस कार्रवाई केवल दिखावा

डॉ. अकिल अहमद, जिन्होंने गांव में एक बीघा ज़मीन खरीदी है, ने बताया कि कुछ माह पूर्व एक रात चार-पांच जेसीबी और दस से पंद्रह ट्रैक्टर-डंपर उनकी ज़मीन पर खनन करने लगे। उन्होंने तत्काल पुलिस को सूचना दी, पुलिस आई भी और एक ट्रैक्टर को जब्त किया, लेकिन कुछ ही घंटों में बिना किसी कानूनी कार्रवाई के उसे छोड़ दिया गया।

डॉ. अकिल का कहना है कि उन्होंने इस पूरे मामले की शिकायत एसपी, डीएम और खनन विभाग से की, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। निराश होकर वे अब न्याय की उम्मीद छोड़ चुके हैं। उनके मुताबिक, माफिया उनकी ज़मीन से करीब चार लाख रुपये की मिट्टी निकाल कर ले गए।

संरक्षण की कमी, लालच की पराकाष्ठा

यह कुआं कभी गांव के लिए जल का मुख्य स्रोत था, लेकिन आज वह खुद प्यासा और बेसहारा है। खनन माफिया की लूट की भूख इतनी बढ़ गई है कि न जल संरक्षण की परवाह है, न पर्यावरण की चिंता। यह दृश्य केवल एक कुएं की कहानी नहीं, बल्कि उस संवेदनहीन तंत्र की तस्वीर है, जहां कायदे-कानून मुनाफे की राह में बाधा समझे जाते हैं।

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