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जौनपुर जिला चिकित्सालय में किन्नरों का हंगामा

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डॉ.इम्तियाज अहमद सिद्दीकी सह-संपादक,उत्तरशक्ति हिन्दी दैनिक,जौनपुर ( उत्तर प्रदेश )
रियाजुल हक़ ब्यूरो

जौनपुर जिला चिकित्सालय में किन्नरों का हंगामा

अस्पताल की सुरक्षा व्यवस्था पर उठा सवाल
जिलाधिकारी ने कोतवाल को मामले की जांच के लिए किया निर्देशित

जौनपुर(उत्तरशक्ति)।नगर कोतवाली थाना क्षेत्र के ख्वाजगी टोला मोहल्ले में कई महीनों से चल रहा जमीन विवाद शुक्रवार को अचानक उग्र हो गया। इस विवाद ने न केवल मोहल्ले को बल्कि कोतवाली और जिला अस्पताल तक को हिला कर रख दिया। आरोप है कि राज कॉलेज चौकी प्रभारी की लापरवाही के चलते विवाद ने हिंसक रूप ले लिया, जिसमें चिकित्सक और स्वास्थ्यकर्मी तक घायल हो गए।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, ख्वाजगी टोला निवासी एक किन्नर और उसके पटीदार के बीच जमीन का विवाद कई माह से चला आ रहा है, जिसकी जानकारी स्थानीय पुलिस को थी। बावजूद इसके राज कॉलेज चौकी द्वारा समय रहते कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। इसी का परिणाम रहा कि शुक्रवार को किन्नरों ने विवादित बाउंड्री वॉल को गिरा दिया, जिससे मामला और भड़क गया।
दोनों पक्षों के बीच मारपीट की सूचना पर मौके पर पहुंची पुलिस ने सभी को कोतवाली ले जाकर पूछताछ शुरू की। यहां भी किन्नरों ने जमकर हंगामा किया। इसके बाद घायलों को उपचार हेतु जिला अस्पताल भेजा गया। अस्पताल पहुंचते ही चिकित्सकों द्वारा थोड़ी देर प्रतीक्षा करने को कहे जाने पर किन्नर पक्ष आक्रोशित हो उठा और फोन करके अपने अन्य साथियों को बुला लिया।
जैसे ही अन्य किन्नर अस्पताल पहुंचे, उन्होंने इमरजेंसी कक्ष में जमकर तोड़फोड़ की और चिकित्सक डॉ. पवन सिंह, स्टाफ नर्स आशिष कुमार सिंह समेत अन्य कर्मचारियों से मारपीट कर उन्हें घायल कर दिया। घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया, जिससे आमजन में रोष है।
इस पूरे घटनाक्रम में राज कॉलेज चौकी प्रभारी की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं। स्थानीय लोगों का आरोप है कि यदि पुलिस समय रहते हस्तक्षेप करती और निष्पक्ष कार्यवाही करती, तो मामला इस स्तर तक नहीं पहुंचता।
वर्तमान में पुलिस ने दोनों पक्षों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कर लिया है। साथ ही चिकित्सक की तहरीर पर मारपीट, तोड़फोड़ और सरकारी कार्य में बाधा डालने की धाराओं में मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है।
अब देखना यह होगा कि पुलिस चौकी की भूमिका को लेकर विभागीय जांच होती है या मामला यूं ही दबा दिया जाएगा।
उधर जिला अस्पताल में सिक्योरिटी को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं इससे पहले सिक्योरिटी के गार्ड जो लगे हुए थे उनको यह कह करके हटा दिया गया था कि उनकी जगह पर पूर्व सैनिक आएंगे लेकिन अभी तक पूर्व सैनिक भी जिला अस्पताल में सिक्योरिटी के रूप में नहीं आए हुए हैं ,वहीं सिक्योरिटी गार्ड के एक आदमी ने बात करते हुए कहा कि हम लोगों को हटा दिया गया जब तक कि हम लोग यहां पर थे तो किसी भी प्रकार की ऐसी घटना को घटित नहीं होने देते थे पीआरडी के तीन चार जवान हैं जो दिन में काम करते हैं लेकिन शाम को होने के बाद यहां पर सन्नाटा पसर जाता है इस बाबत जब पूछने की कोशिश की गई तो मुख्य चिकित्सा अधिकारी का फोन नहीं उठा।

 

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