Take a fresh look at your lifestyle.

जहरीली हवा से करें अपने फेफड़ों की रक्षा-डा वी एस उपाध्याय

0 151
डॉ.इम्तियाज़ अहमद सिद्दीक़ी सह-सम्पादक
रियाजुल हक (उत्तरशक्ति)जिला क्राइम रिपोर्टर जौनपुर
जहरीली हवा से करें अपने फेफड़ों की रक्षा-डा वी एस उपाध्याय
आज हम जिस हवा में सांस ले रहे हैं, वो विषैली हो गई है, बरते सावधानी-डा वी एस उपाध्याय
सीओपीडी दिवस पर लायन्स क्लब जौनपुर मेन ने किया जागरूकता
जौनपुर (उत्तरशक्ति)।लायन्स क्लब जौनपुर मेन द्वारा विश्व सीओपीडी दिवस के अवसर पर लोगों को इस रोग से बचाने के लिए जागरूकता शिविर स्थान आशादीप हास्पिटल के हाल में आयोजित किया गया। इस अवसर पर वरिष्ठ चिकित्सक डा वी एस उपाध्याय ने बताया कि प्रदूषण के बढ़ते स्तर के कारण आजकल सांस लेने की समस्याएं आम हो गई हैं। इनमें से एक गंभीर बीमारी है सीओपीडी यानी क्रॉनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज। इस बीमारी में फेफड़े धीरे-धीरे खराब होते जाते हैं और सांस लेने में मुश्किल होती है। यह एक गंभीर बीमारी है जो समय के साथ धीरे-धीरे बिगड़ती जाती है। आज हम जिस हवा में सांस ले रहे हैं।वो भी विषैली हो गई है, हवा में सूक्ष्म कणो की मौजूदगी के साथ फेफड़ो की क्षमता पर सबसे ज्यादा असर पड़ रहा है। बीड़ी- सिग्रेट, गांजा, गाड़ी व अगरबत्ती के धुएं व किसी भी प्रकार के धुएं से फेफड़े पर बुरा असर पड़ता है। डा वी एस उपाध्याय ने कहा यह फेफड़ों से जुड़ी एक गंभीर बीमारी है जो धीरे-धीरे बढ़ती है।
यह बीमारी मुख्य रूप से दो स्थितियों के कारण होती है- वातस्फीति और क्रॉनिक ब्रोंकाइटिस। वातस्फीति में, फेफड़ों के वायुकोष क्षतिग्रस्त हो जाते हैं जिससे सांस लेने में कठिनाई होती है। दूसरी ओर, क्रॉनिक ब्रोंकाइटिस में, फेफड़ों की नलियां सूज जाती हैं और लगातार बलगम बनता रहता है। यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें फेफड़ों की नलियां समय के साथ धीरे-धीरे संकरी होती जाती हैं। इससे फेफड़ों में हवा का आवागमन कम हो जाता है, जिसके कारण सांस लेने में दिक्कत, खांसी और सीने में जकड़न जैसी समस्याएं होती हैं। सीओपीडी से जूझ रहे लोगों के लिए रोजमर्रा के काम करना भी मुश्किल हो जाते है डा उपाध्याय ने इसके लक्षण बताये सांस लेने में कठिनाई, लगातार खांसी, बलगम बनना, छाती में जकड़न, थकान। तथा रोग के कारण स्मोकिंग, वायु प्रदूषण, केमिकल्स के संपर्क में आना व फैमिली हिस्ट्री है। उन्होंने बताया कि कुछ तरीकों से इसके लक्षणों को कम करके बीमारी को बढ़ने से रोका जा सकता है। तथा दवाएं, ऑक्सीजन थेरेपी पुलमोनरी रिहैबिलिटेशन व सर्जरी इसके इलाज है। इससे बचाव के लिए स्मोकिंग छोड़ें, वायु प्रदूषण से बचें, हेल्दी डाइट लें, लगातार व्यायाम करे एंव अपने डाक्टर से सम्पर्क करे। इसके पूर्व अध्यक्ष संजय केडिया ने लोगो का स्वागत किया। जायडस कम्पनी के मैनेजर रजनीकांत ने आभार व्यक्त किया। संचालन सै मो मुस्तफा ने किया। इस अवसर पर शकील अहमद, मनीष गुप्ता, राधेरमण जायसवाल, राकेश यादव, डा.एस के उपाध्याय, डा.जसवाल, डा.एम भास्कर शर्मा, डा.आशीष, अवधेश मौर्य, आदि उपस्थित रहे।
Naat Download Website Designer Lucknow

Best Physiotherapist in Lucknow

Best WordPress Developer in Lucknow | Best Divorce Lawyer in Lucknow | Best Advocate for Divorce in Lucknow