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जौनपुर:हाईकोर्ट से तामीर हसन शीबू को बड़ी राहत, गिरफ्तारी पर रोक कोतवाली पुलिस ने निष्पक्ष कार्रवाई कर अदालत का भरोसा जीता

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डॉ.इम्तियाज अहमद सिद्दीकी सह-संपादक,उत्तरशक्ति हिन्दी दैनिक,जौनपुर ( उत्तर प्रदेश )
रियाजुल हक़ ब्यूरो

जौनपुर:हाईकोर्ट से तामीर हसन शीबू को बड़ी राहत, गिरफ्तारी पर रोक,कोतवाली पुलिस ने निष्पक्ष कार्रवाई कर अदालत का भरोसा जीता

जौनपुर(उत्तरशक्ति)।कोर्ट नंबर 43 में चल रही आपराधिक विविध रिट याचिका संख्या 16184/2025 की सुनवाई में इलाहाबाद हाईकोर्ट की डबल बेंच ने तामीर हसन उर्फ शिबू के पक्ष में महत्वपूर्ण निर्देश पारित किए हैं। याचिका की सुनवाई के दौरान न्यायालय ने साफ तौर पर कहा कि याचिकाकर्ता को जांच पूरी होने तक अनावश्यक रूप से परेशान न किया जाए, और यदि गिरफ्तारी की आवश्यकता हो, तो वह सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार ही की जाए।

मामला कोतवाली जौनपुर में दर्ज अपराध संख्या 211/2025 से जुड़ा है। जिसमें भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धाराएं 308(2), 75(1), 352 और 351(3) लगाई गई थीं। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता आशीष कुमार और बलदेव शुक्ला, जबकि राज्य की ओर से अपर सरकारी अधिवक्ता आसिफ अकबर ने पक्ष रखा।
पुलिस की कार्यप्रणाली पर न्यायालय ने जताया विश्वास
हाईकोर्ट ने यह भी माना कि मामले में दर्ज सभी धाराएं सात वर्ष से कम सजा वाली हैं। इसलिए गिरफ्तारी को अंतिम उपाय के रूप में ही अपनाया जाना चाहिए। न्यायालय ने यह निर्देश भी दिया कि जब तक जांच पूरी न हो, कोतवाली पुलिस याचिकाकर्ता को अनावश्यक रूप से परेशान न करे।कोतवाली पुलिस द्वारा अब तक की गई कार्यवाही को लेकर न्यायालय ने संतोष जताया।जिससे यह स्पष्ट होता है कि पुलिस ने पूरी ईमानदारी व निष्पक्षता के साथ मामले को हैंडल किया है।

तामीर हसन शीबू का बयान
मामले में राहत मिलने के बाद तामीर हसन उर्फ शिबू ने मीडिया से बातचीत में कहा:
मुझ पर बेबुनियाद आरोप लगाकर मुकदमा दर्ज कराया गया था।लेकिन मुझे शुरू से न्यायपालिका पर भरोसा था। कोतवाली पुलिस ने भी निष्पक्ष रवैया अपनाया,जिसके लिए मैं उनका आभारी हूं। मेरा पूरा सहयोग आगे भी जांच एजेंसियों को रहेगा। मैं न्याय की उम्मीद में था और आज मुझे राहत मिली है।कोर्ट ने यह भी कहा
जब तक कोई ठोस आधार न हो, तब तक याचिकाकर्ता को किसी भी प्रकार से परेशान न किया जाए। गिरफ्तारी तभी की जाए जब वह न्यायोचित रूप से आवश्यक हो।
यह आदेश न्यायमूर्ति अनिल कुमार (एक्स) व न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा की पीठ द्वारा दिनांक 5 अगस्त 2025 को पारित किया गया।
यह रिपोर्ट न्यायालय में प्रस्तुत आदेश एवं अभिलेखों के आधिकारिक दस्तावेज़ों पर आधारित है। इसमें दी गई जानकारी निष्पक्ष रूप से पाठकों के समक्ष रखी गई है, जिसका उद्देश्य केवल सूचना देना है।

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