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नमाज और मानस की चौपाई एक साथ लाटभैरव की राम लीला बनी गंगा-जमुनी तहजीब की अनूठी मिसाल

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नमाज और मानस की चौपाई एक साथ लाटभैरव की राम लीला बनी गंगा-जमुनी तहजीब की अनूठी मिसाल

डॉ.एस.के.मिश्र ज़िला संवाददाता वाराणसी

 

वाराणसी(उत्तरशक्ति)।लाटभैरव की रामलीला में गजब का नजारा देखने को मिला। मंदिर में फर्श पर एक तरफ नमाज की अजान में अल्लाह हू अकबर की गूंज रही तो दूसरी ओर मंजीरे की खनक के बीच मानस का दोहा पढ़ा गया।
शनिवार की शाम को लाटभैरव की रामलीला में नजर आया। लाटभैरव मंदिर की फर्श पर एक तरफ मगरिब की नमाज की अजान में अल्लाह हू अकबर की गूंज रही तो दूसरी ओर ढोलक की थाप और मंजीरे की खनक के बीच मानस का दोहा मंगल भवन अमंगल हारी… मुखर हो रहा था।


नमाजी अपने क्रियाकलाप में व्यस्त तो रामलीला के पात्र अपनी भूमिका निभाने में तल्लीन रहे। शनिवार की शाम को श्री आदि लाटभैरव की रामलीला में 481 साल की परंपरा और भारत की विविधता में एकता का संदेश भी मुखर हुआ। तुलसी के दौर से चली आ रही बनारस की गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल रामलीला का मंचन लाटभैरव मंदिर-मस्जिद के बीच के विशाल फर्श पर हुआ। मगरिब की नमाज और जयंत नेत्रभंग लीला का मंचन दोनों साथ-साथ हुआ।


शाम को 4:45 बजे रामलीला आरंभ हुई। चबूतरे के पूर्वी हिस्से में श्रीराम चरित मानस का दोहा सीता चरन चोंच हति भागा, मूढ़ मंदमति कारन कागा मुखर हो रहा था। वहीं दूसरी ओर ठीक पांच बजे चबूतरे के पश्चिमी हिस्से में पांचों वक्त के नमाजी अल्लाह को याद कर रहे थे। श्रीआदि लाट भैरव रामलीला के व्यास दयाशंकर त्रिपाठी जयंत को उसके संवाद बता रहे थे, तो उधर इमाम हाफिज शाबान अली नमाज का क्रम आगे बढ़ा रहे थे।


नमाज से पहले शुरू हुई रामलीला नमाज के बाद भी गतिमान रही। नमाज से पहले और बाद में मुस्लिम बंधुओं ने भी लीला दर्शक के रूप में शामिल हुए। गोस्वामी तुलसी दास और उनके परम मित्र मेघा भगत द्वारा शुरू की गई यह लीला के जयंत नेत्रभंग का प्रसंग इसी स्थान पर मस्जिद निर्माण के पहले से होती आ रही है।
इंद्रपुत्र को गंवानी पड़ी एक आंख
लाटभैरव की रामलीला में शनिवार को प्रसंग आरंभ में देवराज इंद्र का पुत्र जयंत कौआ बनकर माता सीता के चरण में चोंच मारकर भागा। यह देख श्रीराम ने सींक के बाण का संधान किया। बचने को जयंत सभी देवों के पास गया, लेकिन रामद्रोही होने से किसी ने रक्षा नहीं की। अंतत: नारद मुनि की सलाह पर वह श्रीराम के चरणों में जाकर गिर पड़ा। प्रभु ने बाण के प्रभाव को कम किया और जयंत की एक आंख फोड़ दी।

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