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संपूर्णानंद संस्कृत विवि: दीक्षांत में 42 साल में पहली बार आठ छात्राओं को मिले 23 गोल्ड मेडल, टुंपा को सात पदक

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संपूर्णानंद संस्कृत विवि: दीक्षांत में 42 साल में पहली बार आठ छात्राओं को मिले 23 गोल्ड मेडल, टुंपा को सात पदक

डॉ.एस.के.मिश्र
वाराणसी(उत्तरशक्ति)वाराणसी -संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय का 42वां दीक्षांत समारोह राज्यपाल की घोषणा के साथ शुरू हुआ। कुल 13,733 उपाधियां डिजीलॉकर पर अपलोड हो गईं। इस दौरान गेस्ट हाउस का शिलान्यास किया गया। कुलपति ने अपना स्वागत भाषण संस्कृत भाषा में दिया। कहा कि जल्द ही यहां शिक्षा शास्त्र विभाग की बिल्डिंग का निर्माण होगा।
वहीं दीक्षांत के मंच संचालन से लेकर विभागाध्यक्षों का परिचय भी संस्कृत में ही हुआ। 17 विभागों के अध्यक्षों और छह डीन ने संस्कृत में पोडियम पर अपने अंडर में पीएचडी करने वालों को उपाधि देने के लिए स्नातकों का उपस्थापन (प्रजेंटेशन) किया।
राज्यपाल और विश्विद्यालय की कुलाधिपति आनंदी बेन पटेल ने दीक्षांत स्थल ऐतिहासिक मुख्य भवन में दक्षिणी द्वार से प्रवेश किया। दीक्षांत परिधान गले में डालकर राज्यपाल और दीक्षांत समारोह की शिष्ट यात्रा मंच तक पहुंची।
संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में 13733 छात्र और छात्राओं को शास्त्री, आचार्य और पीएचडी की उपाधियां दी गईं। इसके साथ ही 31 मेधावियों को 56 मेडल दिए गए। जिसमें 54 गोल्ड, एक सिल्वर और एक ब्रॉन्ज मेडल शामिल रहा।
कुलपति संस्कृत विश्वविद्यालय प्रोफेसर बिहारी लाल शर्मा ने कहा कि विश्वविद्यालय आधुनिक तौर तरीके से शास्त्रों और वेदों की शिक्षा दे रहा है। यहां शोधार्थी हजारों साल प्राचीन ग्रंथों पर भी रिसर्च कर रहे हैं।गुल्ली डंडा भी हुआ शुरू
उन्होंने कहा कि भारत के पारंपरिक खेल गुल्ली डंडा, कबड्डी, खोखो भी कराए जा रहे। इसकी पॉपुलैरिटी काफी है।

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