Take a fresh look at your lifestyle.

यूपी के 558 मदरसों की ईओडब्ल्यू जांच पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक

0 145

 

डॉ.इम्तियाज अहमद सिद्दीकी सह-संपादक,
उत्तरशक्ति हिन्दी दैनिक,

जिला अध्यक्ष-मदर टेरेसा फाउंडेशन
जनपद जौनपुर

वरिष्ठ जिला उपाध्यक्ष -मुस्लिम लावारिस लाश इंतजामिया कमेटी जनपद जौनपुर

एक्सप्रेस प्रिंट मीडिया न्यूज़ एजेन्सी जनपद जौनपुर

वरिष्ठ पत्रकार
रियाजुल हक़
जिला संवाददाता-उत्तरशक्ति हिन्दी दैनिक जनपद जौनपुर

अध्यक्ष -मुस्लिम लावारिस लाश इंतजामिया कमेटी जौनपुर

प्रवक्ता/मीडिया प्रभारी-मदर टेरेसा फाउंडेशन
जनपद-जौनपुर

एक्सप्रेस न्यूज़ प्रिंट मीडिया एजेन्सी जनपद जौनपुर ( उत्तर प्रदेश )

 

 

 

 

यूपी के 558 मदरसों की ईओडब्ल्यू जांच पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक
प्रयागराज (उत्तरशक्ति)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के निर्देश के क्रम में 558 सहायता प्राप्त मदरसों के खिलाफ चल रही आर्थिक अपराध शाखा की जांच पर रोक लगा दी है। न्यायमूर्ति सरल श्रीवास्तव एवं न्यायमूर्ति अमिताभ कुमार राय की खंडपीठ ने आदेशों पर रोक लगाते हुए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के साथ शिकायतकर्ता को नोटिस जारी करने का निर्देश दिया है। साथ ही मामले पर अगली सुनवाई के लिए 17 नवंबर की तारीख लगाई है। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने मोहम्मद तलहा अंसारी की शिकायत के आधार पर महानिदेशक आर्थिक अपराध शाखा को इस मामले में जांच के लिए कहा था। इस पर वाराणसी के टीचर्स एसोसिएशन मदारिस अरबिया व दो अन्य की याचिका दाखिल कर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के गत 28 फरवरी, 23 अप्रैल और 11 जून के आदेशों को रद्द करने की मांग की गई है, जिनमें शिकायतकर्ता द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच करने और कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा गया है।
याचिका में बीते 23 अप्रैल के उस सरकारी आदेश को भी रद्द करने की मांग की गई है। जिसके तहत राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के उक्त निर्देशों के बाद आर्थिक अपराध शाखा द्वारा 558 सहायता प्राप्त मदरसों की व्यापक जांच की जा रही है। कहा गया है कि मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम 1993 की धारा 12 के तहत आयोग के कार्य विशेष रूप से गिनाए गए हैं।

अधिनियम की धारा 36(2) स्पष्ट रूप से यह बताती है कि आयोग किसी भी मामले की जांच उस तारीख से एक वर्ष की समाप्ति के बाद नहीं करेगा। जिस तारीख को मानवाधिकारों के उल्लंघन का कोई कार्य हुआ था। यह भी तर्क दिया गया कि धारा 12-ए के तहत आयोग स्वत: संज्ञान से या किसी पीड़ित या उसकी ओर से किसी व्यक्ति की याचिका पर या किसी न्यायालय के किसी निर्देश या आदेश के आधार पर जांच कर सकता है। इस मामले में धारा 12-ए के तहत कोई भी शर्त लागू नहीं होती है। यह भी कहा गया कि शिकायत में मानवाधिकारों के उल्लंघन के कार्य की तारीख का उल्लेख नहीं है ।शिकायत में दिए गए आरोप अस्पष्ट है और किसी विशिष्ट तारीख का खुलासा नहीं करते हैं। इसलिए यह पता लगाना संभव नहीं है कि शिकायत मानवाधिकार उल्लंघन की तारीख से एक वर्ष के भीतर की गई थी या नहीं,ऐसे में तर्क दिया आयोग की पूरी कार्रवाई अधिकार क्षेत्र से बाहर है।

Naat Download Website Designer Lucknow

Best Physiotherapist in Lucknow

Best WordPress Developer in Lucknow | Best Divorce Lawyer in Lucknow | Best Advocate for Divorce in Lucknow