
गिरीश चंद्र सिन्हा जी जीवन भावनात्मक और साहित्यिक प्रेरणाओं से भरा हुआ
गिरीश चंद्र सिन्हा जी जीवन भावनात्मक और साहित्यिक प्रेरणाओं से भरा हुआ
अभिताश गुप्ता(उत्तरशक्ति)नगर संवाददाता जौनपुर
जौनपुर(उत्तरशक्ति)जीवन स्मृति सभा द्वारा गिरीश चंद्र सिन्हा जी के जन्मदिन के अवसर पर एक विशेष काव्य गोष्ठी का आयोजन उनके निवास स्थान पर किया गया। इस अवसर पर अनेक साहित्य प्रेमी और कवि एकत्रित हुए और अपनी कविताओं के माध्यम से गिरीश चंद्र सिन्हा जी को श्रद्धांजलि अर्पित की।गोष्ठी का वातावरण भावनात्मक और साहित्यिक प्रेरणाओं से भरा हुआ था।जहां सभी ने अपने-अपने अंदाज़ में गिरीश चंद्र सिन्हा जी के जीवन और उनकी साहित्यिक यात्रा को याद किया। उनके निवास पर आयोजित इस गोष्ठी ने सभा को और भी व्यक्तिगत और भावनात्मक रूप से जोड़ दिया।और सभी ने अपने काव्य पाठ से इस आयोजन को सफल और यादगार बना दिया।
गिरीश चंद्र सिन्हा जीवनजी का जीवन एक प्रेरणा का स्रोत है।जिसे आज उनके 77वें #जन्मदिवस पर श्रद्धांजलि स्वरूप याद किया जा रहा है। उनका जन्म 10 सितंबर 1947 को जौनपुर के सैदनपुर गांव में हुआ। यह समय भारत के स्वतंत्रता प्राप्ति का वर्ष था।और यह संयोग ही था कि उनके जन्म ने भी संघर्ष और स्वतंत्रता की भावना को आत्मसात कर लिया। उन्होंने अपने जीवन को एक समाजसेवी संगठनकर्ता और साहित्यकार के रूप में संवारते हुए।कठिनाइयों का सामना करते हुए समाज के निम्नवर्ग, विशेष रूप से विद्युत मजदूरों के लिए अपना जीवन समर्पित किया।गिरीश चंद्र सिन्हा ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने गांव में ग्रहण की, जहां उन्होंने जीवन के मूल्यों और संघर्षों को करीब से देखा और समझा। आगे चलकर उन्होंने इंटरमीडिएट तक कला वर्ग में शिक्षा प्राप्त की और उसके बाद मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया। तकनीकी शिक्षा प्राप्त करने के बाद उन्होंने नौकरी की, लेकिन उनका झुकाव हमेशा से समाजसेवा और मजदूरों के अधिकारों के लिए लड़ने की ओर था।
सिन्हा जी ने विद्युत विभाग में कार्य करते हुए मजदूरों के अधिकारों की लड़ाई को अपने जीवन का लक्ष्य बना लिया। वे प्रदेश स्तर पर ट्रेड यूनियन से जुड़े और एक प्रभावशाली नेता बने। उनकी सक्रियता और प्रतिबद्धता ने उन्हें प्रदेश अध्यक्ष और महासचिव जैसे पदों तक पहुँचाया। इस दौरान उन्होंने कई बार संघर्ष किया।यहां तक कि उन्हें नौकरी से निलंबित किया गया, और उन्हें जेल यात्रा भी करनी पड़ी। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और अंततः अपने पद पर पुनः बहाल होकर विद्युत मजदूरों के हितों के लिए संघर्ष जारी रखा।
उनका जीवन इस बात का उदाहरण है कि एक व्यक्ति के दृढ़ निश्चय और संघर्ष से बड़े बदलाव किए जा सकते हैं। उनका हर कदम मजदूरों के अधिकारों के लिए समर्पित था।और वे अंतिम सांस तक उनके हितों के लिए लड़ते रहे। 19 जुलाई 2004 को हृदय गति रुकने से उनका निधन हुआ।लेकिन उनका संघर्ष और योगदान हमेशा याद रखा जाएगा।
संगठन और समाजसेवा के अलावा,गिरीश चंद्र सिन्हा का साहित्यिक योगदान भी महत्वपूर्ण रहा। उन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से समाज की विसंगतियों, संघर्षों और मानवीय संवेदनाओं को व्यक्त किया। उनकी कुछ प्रमुख कृतियां हैं।
यह तुम्हारे लिए नहीं है इस रचना में उन्होंने समाज की चुनौतियों और संघर्षों को बहुत ही मार्मिक ढंग से प्रस्तुत किया।सूर्य के संग यह रचना जीवन के ऊर्जावान पक्ष को उजागर करती है, जिसमें सूर्य को प्रेरणा का प्रतीक माना गया है।बाहेरान हिरना यह रचना मानवीय जीवन की कठिनाइयों और उसके समाधान की खोज को दर्शाती है।
पेंशन संबंधित अभिलेख यह व्यावहारिक दृष्टिकोण से लिखी गई रचना पेंशन और उसके प्रबंधन के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करती है। जो उनके संगठित जीवन के एक और पहलू को उजागर करती है।
आज गिरीश चंद्र सिन्हा जी के 77वें जन्मदिवस के अवसर पर एक भव्य काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया, जो उनके साहित्यिक और सामाजिक योगदान को याद करने और सम्मानित करने का एक प्रयास है। इस कार्यक्रम में जिले के प्रतिष्ठित साहित्यकार और विद्वान शामिल हुए। इसमें प्रमुख रूप से शामिल हुए।
प्रोफेसर वशिष्ठ अनूप (काशी हिंदू विश्वविद्यालय के हिंदी विभागाध्यक्ष),श्री सभाजीत द्विवेदी प्रखर
श्री जनार्दन अस्थाना,श्री अशोक मिश्रा,
श्री गिरीश श्रीवास्तव गिरीश श्री अजय कुमार,अहमद निसार,अंसार जौनपुरी,श्री रामजीत मिश्र, श्री बजरंग प्रसाद,श्री फूल चंद भारती,श्रीमती दमयंती सिंह, डॉ प्रतीक मिश्र,श्री अनिल उपाध्याय,श्री राजेश पांडेय,श्री कमलेश कुमार,श्री रूपेश श्रीवास्तव,श्री सत्य प्रकाश गुप्ता”खजरी सम्राट श्री बी बी मिश्र,श्री अश्वनी कुमार,
और अन्य वरिष्ठ साहित्यकार उपस्थित हुए।
इन सभी विद्वानों की उपस्थिति इस आयोजन को विशेष महत्व प्रदान करती है।क्योंकि ये सभी अपने-अपने क्षेत्र के प्रतिष्ठित साहित्यकार और समाजसेवी हैं।
इस आयोजन में गिरीश चंद्र सिन्हा जी के परिवार के सदस्य भी उपस्थित रहे जिनमें उनकी पत्नी श्रीमती गीता सिन्हा,पुत्र ज्ञान रंजन सिन्हा,कुंदन सिन्हा,गौरव प्रदीप सिन्हा,शशांक सिन्हा जो उनके संघर्षों और योगदान को नजदीकी से जानने वाले रहे हैं। साथ ही, संस्थासेवक आलोक रंजन सिन्हा और महासचिव राजेश किशोर श्रीवास्तव एवं श्री संजय सेठ जेब्रा फाउंडेशन श्री अतुल सिंह, श्री गोविंद प्रजापति,श्री दयाल सरन,श्री स्वामी सरन, श्री रामा रंजन यादव जी की गरिमामयी उपस्थिति रही।इनकी उपस्थिति यह दर्शाती है कि गिरीश चंद्र सिन्हा जी का समाज पर गहरा प्रभाव था।जिसे लोग आज भी याद करते हैं और उनका सम्मान करते हैं।
गिरीश चंद्र सिन्हा जीवन जी का जीवन एक संघर्ष की कहानी है।जिसे उन्होंने अपने कर्मों और लेखन के माध्यम से जीवंत रखा। उनका संघर्ष, उनके विचार,और उनकी साहित्यिक कृतियां समाज को दिशा दिखाने का काम करती हैं। उनके 77वें जन्मदिवस पर आयोजित यह काव्य गोष्ठी न केवल उन्हें श्रद्धांजलि है।बल्कि उनके विचारों और आदर्शों को आगे बढ़ाने का एक प्रयास भी है। उनका जीवन सदैव प्रेरणा देता रहेगा और उनकी अमर रचनाएं आने वाली पीढ़ियों का मार्गदर्शन करेंगी।