
बीएचयू में धरने का चौथा दिन आज, छात्रों में बढ़ रहा आक्रोश, नहीं हो रही सुनवाई
डॉ.एस.के. मिश्र ज़िला संवाददाता
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वाराणसी,(उत्तरशक्ति)।काशी हिंदू विश्वविद्यालय के सेंट्रल ऑफिस के बाहर चौथे दिन भी अनिश्चितकालीन धरना जारी रहा। छात्रों ने कहा कि अब रात के वक्त सांप और बिच्छू भी धरना स्थल तक आ जा रहे हैं। सभी छात्र जमीन पर फोम के गद्दे पर बिछाकर सो रहे हैं। उनकी जान को खतरा पैदा हो गया है। लेकिन, अभी तक विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से बातचीत करने का कोई प्रस्ताव नहीं आया है। छात्रों ने कहा कि बीते रविवार को रात यहां बिच्छू निकला था। बड़ी मुश्किल से भगाया गया।
फिर सांप भी रेंगते हुए आया। सभी छात्र डर गए। यहां खुले में सोने में बहुत भय सा है। काशी हिंदू विश्वविद्यालय के सेंट्रल ऑफिस के बाहर चौथे दिन भी अनिश्चितकालीन धरना जारी रहा। छात्रों ने कहा कि अब रात के वक्त सांप और बिच्छू भी धरना स्थल तक आ जा रहे हैं। सभी छात्र जमीन पर फोम के गद्दे पर बिछाकर सो रहे हैं। उनकी जान को खतरा पैदा हो गया है। लेकिन, अभी तक विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से बातचीत करने का कोई प्रस्ताव नहीं आया है। छात्रों ने कहा कि बीते रविवार को रात यहां बिच्छू निकला था। बड़ी मुश्किल से भगाया गया, फिर सांप भी रेंगते हुए आया। सभी छात्र डर गए। यहां खुले में सोने में बहुत भय सा है।छात्रों द्वारा इंस्टिट्यूट ऑफ एमीनेंस के मद में आए हुए धन तथा उसके आधार पर किए गए सलाहकारों की नियुक्ति की सूची मांगी है। विश्वविद्यालय प्रशासन इस मामले में लम्बे समय से आनाकानी कर रहा है। छात्रों ने छात्रावास में मेस की दुर्व्यवस्था तथा उसमें कमीशन खोरी का भी सवाल उठाया है। यह सभी मांगे जायज है। उन्होंने कहा कि छात्रों के जायज मांगों को लेकर पुराने छात्रों की भी एक बैठक शीघ्र बुलाई जाएगी। छात्र संघ की चुनाव न होने से छात्रों के ऊपर विश्वविद्यालय प्रशासन की तानाशाही बढ़ी है। एमफिल किए हुए छात्रों को शोध में प्रवेश से वंचित करके प्रशासन ने तानाशाही की कर दी है। डॉ. शुक्ल ने यह भी बताया कि छात्रों के धरना स्थल पर सांप और बिच्छू भी आ जा रहे हैं ऐसे में यदि कोई दुर्भाग्यपूर्ण घटना होती है।तो पूरा पूर्वांचल छात्र आंदोलन और अस्थिरता के चपेट आ जाएगा जिसका जिम्मेदार विश्वविद्यालय प्रशासन होगा। तब सभी विश्वविद्यालय प्रशासन के और दूरदर्शिता पर पश्चाताप करेंगे।

छात्रों द्वारा इंस्टिट्यूट ऑफ एमीनेंस के मद में आए हुए धन तथा उसके आधार पर किए गए सलाहकारों की नियुक्ति की सूची मांगी है। विश्वविद्यालय प्रशासन इस मामले में लम्बे समय से आनाकानी कर रहा है। छात्रों ने छात्रावास में मेस की दुर्व्यवस्था तथा उसमें कमीशन खोरी का भी सवाल उठाया है। यह सभी मांगे जायज है। उन्होंने कहा कि छात्रों के जायज मांगों को लेकर पुराने छात्रों की भी एक बैठक शीघ्र बुलाई जाएगी। छात्र संघ की चुनाव न होने से छात्रों के ऊपर विश्वविद्यालय प्रशासन की तानाशाही बढ़ी है। एमफिल किए हुए छात्रों को शोध में प्रवेश से वंचित करके प्रशासन ने तानाशाही की कर दी है। डॉ. शुक्ल ने यह भी बताया कि छात्रों के धरना स्थल पर सांप और बिच्छू भी आ जा रहे हैं ऐसे में यदि कोई दुर्भाग्यपूर्ण घटना होती है।तो पूरा पूर्वांचल छात्र आंदोलन और अस्थिरता के चपेट आ जाएगा जिसका जिम्मेदार विश्वविद्यालय प्रशासन होगा। तब सभी विश्वविद्यालय प्रशासन के और दूरदर्शिता पर पश्चाताप करेंगे।