
त्रिकोणीय मुकाबले में चुनावी वादों की परख करने वाला चुनाव लोकसभा जौनपुर
जौनपुर लोकसभा बना प्रतिष्ठा की सीट
मतदाता में हो रही परखने की क्षमता
त्रिकोणीय मुकाबले में चुनावी वादों की परख करने वाला चुनाव लोकसभा जौनपुर
शिव कुमार प्रजापति (उत्तर शक्ति)
तहसील संवाददाता शाहगंज जौनपुर
जौनपुर (उत्तर शक्ति)लोकसभा सीट कई मायनों में काफी महत्वपूर्ण है। 2019 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर मोदी- योगी लहर बेअसर साबित हुई थी। पूर्वांचल की इस सीट पर बसपा प्रत्याशी ने जीत दर्ज की। एक बार फिर यहां जातीय समीकरण को साधने की कोशिश हो रही है।
उत्तर प्रदेश की जौनपुर लोकसभा सीट के चुनाव परिणाम राजनीतिक पंडितों को हमेशा चौंकाते रहे हैं। गंगा-जमुनी तहजीब के साथ मूली-मक्के की खेती, इत्र उद्योग और इमरती की पहचान वाला जौनपुर विकास में भले ही पिछड़े जिलों में शुमार है। लेकिन पलायन कर माया नगरी यानी मुंबई पहुंचे जौनपुरियों द्वारा खड़ा किया गया साम्राज्य देखते ही बनता है।
लोकसभा जौनपुर, इंडिया गठबंधन की तरफ से जौनपुर लोकसभा क्षेत्र से सपा प्रत्याशी बाबू सिंह कुशवाहा के मैदान में आने से हलचल तेज हो गई हैं। बीजेपी ने इस सीट से महाराष्ट्र के पूर्व गृह राज्यमंत्री कृपाशंकर सिंह को प्रत्याशी बनाया है। कयास लगाया जा रहा है कि अब लड़ाई बाहरी बनाम स्थानीय की होगी। बाबू सिंह कुशवाहा बाहरी हैं। हालांकि बसपा ने भी अपना पत्ता खोल कर चौका दिया और पूर्व सांसद धनंजय सिंह की पत्नी श्रीकला रेड्डी को राजनीतिक अखाड़े में पेश किया है।
कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन थामने वाले कृपाशंकर ने अपना अधिक समय महाराष्ट्र में बिताया है। 2024 लोकसभा चुनाव में अपनी पुश्तैनी जमीन पर राजनीति करने आए हैं। राजनीति जानकारों का कहना है कि बाबू सिंह कुशवाहा पूरी तरह से बाहरी हैं। तत्कालीन बसपा सरकार में उनकी गिनती सबसे ताकतवर मंत्री में होती थी। वह एमएलसी व दो बार कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं।
श्रीकला रेड्डी के आने से त्रिकोणीय हुए लोकसभा जौनपुर सीट। जौनपुर सीट पर बीएसपी ने श्रीकला रेड्डी को उतार कर मुकाबला त्रिकोणीय बना दिया है। अपहरण-रंगदारी मामले में बीते 6 मार्च को धनंजय सिंह को 7 साल की सजा सुनाई गई है। धनंजय सिंह के जेल जाने के बाद कयास लगाए जा रहे थे कि जौनपुर से उनकी पत्नी श्रीकला रेड्डी चुनाव लड़ सकती हैं। श्रीकला वर्तमान में जौनपुर के जिला पंचायत अध्यक्ष हैं। धनंजय समर्थक उनकी जीत के लिए पूरी ताकत से जुड़ गए हैं।
वही राजनीति के महारथी कृपा शंकर सिंह और बाबू सिंह कुशवाहा समर्थकों ने भी पूरी ताकत छोड़ दी है। कुल मिलाकर इस चुनाव में जौनपुर संसदीय सीट पर काफी दिलचस्प मुकाबला होता देखा जा रहा है। परंतु बदलते परिवेश एवं सोशल मीडिया के जमाने में, वादों की परख करने वाला चुनाव 2024 का माना जाएगा। मतदाता अब यह अच्छे से देख रहे हैं कि किसमें अपने वादों को पूरा करने की कितनी क्षमता है।