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जौनपुर:गांवों में किसकी होगी सरकार ! पंचायत चुनाव बता देंगे 2027 का सियासी गुफ्तगू

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जौनपुर:गांवों में किसकी होगी सरकार ! पंचायत चुनाव बता देंगे 2027 का सियासी गुफ्तगू
पंचायत नुक्कडों में महकने लगी चुनाव की खुशबू

डॉ.इम्तियाज़ अहमद कुमार प्रजापति
जौनपुर( उत्तरशक्ति)। 2026: यूपी पंचायत चुनाव को लेकर राज्य निर्वाचन आयोग ने भी तैयारियां शुरू कर दी है। अगले साल जनवरी-फरवरी माह में पंचायत चुनाव के होने की संभावना है।;2026: उत्तर प्रदेश में साल 2027 में विधानसभा चुनाव होने है। ऐसे में सभी राजनीतिक दल सियासी पिच पर गोटियां फिट करने में जुट गये हैं। लेकिन इससे पहले अगले साल 2026 में यूपी में पंचायत चुनाव होने है। यूपी पंचायत चुनाव 2026 सियासी दलों के लिए विधानसभा चुनाव से पहले का सेमीफाइनल होगा। पंचायत चुनाव से सभी राजनीतिक दलों को यह पता चल जाएगा कि उनकी तैयारी कहां तक सफल हुई है और कहां कमी रह गयी है। यूपी पंचायत चुनाव को लेकर राज्य निर्वाचन आयोग ने भी तैयारियां शुरू कर दी है।

अगले साल जनवरी-फरवरी माह में पंचायत चुनाव के होने की संभावना है। पंचायत चुनाव को लेकर निर्वाचन आयोग फरवरी के पहले सप्ताह में अधिसूचना भी जारी कर सकता है। इससे पहले सियासी दलों ने गांव-गांव में अपनी जोर-आजमाईश अभी से शुरू कर दी है। उल्लेखनीय है कि 2026 में उत्तर प्रदेश के ग्राम पंचायतों के मौजूदा ग्राम प्रधानों का कार्यकाल समाप्त हो रहा है। यूपी में करीब 57691 ग्राम प्रधान, पंचायत सदस्य, क्षेत्र पंचायत सदस्य, 826 ब्लॉक प्रमुख, 3200 जिला पंचायत सदस्य और 75 जिला पंचायत अध्यक्ष के लिए चुनाव होने हैं।

निर्वाचन आयोग की तैयारियों से पंचायत चुनाव की सुगबुगाहट शुरू
उत्तर प्रदेश के 67 जनपदों में त्रिस्तरीय पंचायत सामान्य निर्वाचन-2026 के लिए राज्य निर्वाचन आयोग ने लगभग 1.27 लाख सीआर शीट ग्रेड सीआर1 से बनी मतपेटियों की आपूर्ति को ई-टेंडर जारी किया है। चार माह के भीतर इन मतपेटियों की डिलीवरी की जानी है। साल 2021 में अप्रैल-मई माह में यूपी पंचायत चुनाव संपन्न हुए थे।

त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के दौरान सबसे दिलचस्प ग्राम प्रधान का चुनाव होता है। जिसके लिए सभी गांवों में सियासी सरगर्मी अभी से बढ़ गई है। पंचायत चुनाव के लिए आरक्षण के बाद यह तस्वीर बिल्कुल साफ हो जाएगी कि किस गांव से कौन चुनाव मैदान में उतरेगा? इस तरह यूपी पंचायत चुनाव को लेकर निर्वाचन आयोग से लेकर गांव के नेताओं ने अपने-अपने स्तर से एक्सरसाइज शुरू कर दी है।

जिस दल की सत्ता, गांव में उसी की सरकार
उत्तर प्रदेष पंचायत चुनाव 2026 से सियासी दलों की तैयारियों का अंदाजा लग जाएगा। विधानसभा चुनाव से पहले पंचायत चुनाव सेमीफाइनल की तरह होता है। देखा गया है कि जिस भी दल की सूबे में सरकार रहती है। गांवों में भी उसकी दल का दबदबा रहता है। पिछले पंचायत चुनावों पर निगाह डालें तो उत्तर प्रदेश के 75 जनपदों की कुल 3,050 जिला पंचायत सदस्य सीटों पर हुए चुनाव में भाजपा और सपा से ज्यादा निर्दलीयों ने बाजी मारी थी। वहीं ग्राम प्रधान चुनाव में अधिकतर सत्ताधारी दल के समर्थक ही जीते थे।

इसी तरह जिला पंचायत सदस्यों में सपा को 759, भाजपा को 768, बसपा को 319, कांग्रेस को 125, आरएलडी को 69, आम आदमी पार्टी को 64 और निर्दलीय सबसे अधिक 944 सदस्य जीते थे। भाजपा ने निर्दलीय सदस्यों को अपने पाले में खड़ा कर जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी अपने नाम कर ली थी। इसी तरह सत्ताधारी दल ने भी ब्लॉक प्रमुख सीट अपने कब्जे में की थी। भाजपा ने 75 जनपदों में से 67 में अपना जिला पंचायत अध्यक्ष बनाया था। समाजवादी पार्टी केवल पांच जनपदों में अध्यक्ष बनाने में सफल हो सकी थी। वहीं तीन जिलों में अन्य ने अपना दबदबा जमा लिया था।

पंचायत चुनाव का यूपी विधानसभा चुनाव का सेमीफाइनल
पंचायत चुनाव 2026 को यूपी विधानसभा चुनाव को सेमीफाइनल इसलिए माना जा रहा है क्योंकि इसके ठीक बाद ही ये चुनाव होना है। यूपी की दो तिहाई से ज्यादा सीटें ग्रामीण इलाकों से ही आती हैं। यहां पंचायत चुनाव के दौरान सियासी दल इसलिए अपनी पूरी ताकत झोंक रहे हैं क्योंकि इससे उन्हें विधानसभा चुनाव में अपनी तैयारी का आंकलन हो जाएगा और 2027 का सियासी मिजाज भी समझ में आ जाएगा। खैर अभी तक क्षेत्री मतदाताओं की हनक एवं मिजाज का आकलन इतना आसान नहीं होता परंतु सत्ता का बोलबाला जरूर आता है। अब देखने वाली बात होती है की सोशल मीडिया के जमाने में प्रचार सभाएं क्या रुख तय करती हैं।

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