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काशी हिंदू विश्वविद्यालय के भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान के अविष्कर्ताओं ने माइक्रो एल्गी

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वाराणसी(उत्तरशक्ति)काशी हिंदू विश्वविद्यालय के भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान के अविष्कर्ताओं ने माइक्रो एल्गी { सूक्ष्मशैवाल  की दो नयी नस्ल की खोज की है जिसकी मदद से शहरी अपशिष्ट जल को शुद्ध करने की एक नई प्रक्रिया विकसित की गयी है।स्कूल ऑफ़ बायो केमिकल इंजीनियरिंग के सहायक प्रोफेसर डॉ. विशाल मिश्रा और शोध छात्र विशाल सिंह के नेतृत्व में, इस जल शोधन विधि में प्राथमिक, द्वितीयक और सूक्ष्मशैवाल-आधारित तृतीयक शोधन को एक सतत प्रणाली में एकीकृत किया गया है। यह प्रणाली न केवल गंदे जल को साफ़ करती है।बल्कि मूल्यवान सूक्ष्मशैवाल बायोमास भी उत्पन्न करती है जिसका उपयोग बायोफ्यूल, प्रोटीन सप्लीमेंट,और पशु चारे के रूप में किया जा सकता है। जिससे यह प्रक्रिया आर्थिक रूप से भी लाभदायक बनती है। इस शोध को हाल ही में पेटेंट प्रमाण पत्र संख्या 520076, पेटेंट कार्यालय, भारत सरकार द्वारा प्राप्त हुआ है।
डॉ. विशाल मिश्रा ने बताया की यह उन्नत जल शोधन प्रणाली आम लोगों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद है क्योंकि यह अपशिष्ट जल से हानिकारक तत्वों जैसे अमोनियम,नाइट्रोजन और फॉस्फेट को प्रभावी रूप से हटाकर जल निकायों को स्वच्छ बनाती है। यह नदियों और अन्य जल स्रोतों में प्रदूषण को रोकने के लिए महत्वपूर्ण है।जिससे पर्यावरण स्वस्थ होता है। यह पानी खेती, सिचाई या अन्य कार्यों में उपयोग में लाया जा सकता है।
उन्होंने ये भी बताया कि उत्पादित सूक्ष्मशैवाल बायोमास का उपयोग बायोफ्यूल उत्पन्न करने के लिए किया जा सकता है।जिससे परंपरागत ईंधनों पर निर्भरता कम होती है और एक स्थायी ऊर्जा स्रोत मिलता है।

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