
अपने क्षेत्र में स्त्रियों की बेहतरीन मार्गदर्शक और साहित्यसेवी हैं पूजा गुप्ता
अपने क्षेत्र में स्त्रियों की बेहतरीन मार्गदर्शक और साहित्यसेवी हैं पूजा गुप्ता
स्त्रियों के लिए समृद्ध लाइब्रेरी के प्रयास
डॉ.इम्तियाज़ अहमद सिद्दीक़ी सह-सम्पादक उत्तरशक्ति,जौनपुर(उत्तर प्रदेश)
मिर्ज़ापुर(उत्तरशक्ति)साहित्यकार पूजा गुप्ता का बचपन से एक सपना रहा है।कि उनकी खुद की अपनी एक लाइब्रेरी हो और वहाँ पाठकों के लिए निःशुल्क पुस्तकें उपलब्ध हो। मगर अभावों के कारण यह सब इतना सहज संभव कहाँ होता है।उन्होंने बताया कि बचपन से लेकर बड़े होने तक उनका जीवन अभावों से जूझता रहा। कभी-कभी तो ऐसा भी समय आया कि स्कूल जाते समय जूते तक नहीं थे इसलिए फटेहाल ही जैसे तैसे काम चलाया। बहुत बार फीस के लिए पैसे नहीं होते थे। ऐसे में इनकी माँ ने इनकी पढाई–लिखाई के लिए संघर्ष करके इन्हें पढ़ाया तो कभी पूजा गुप्ता ने सखियों की पुरानी पुस्तकों पर जिल्द चढ़ा-चढ़ाकर उससे मिलने वाले मेहनताने से अपनी पढाई का खर्च निकाला।इस तरह इन्होंने मुश्किल दिनों को पार करते हुए जीवन में कई उतार-चढ़ाव देखे और अपने सपने पूरे करने की ठानी।मैंने इनकी लाइब्रेरी को लेकर इनकी कुछ साहित्यिक गतिविधियाँ फेसबुक पर देखी तो इनके बारे में जानने की इच्छा हुई। वर्तमान में पूजा गुप्ता साहित्य और विचार के क्षेत्र में महिलाओं को आगे बढ़ाने के लिए प्रयासरत हैं।पूजा गुप्ता किताबें पढ़ने-पढ़वाने की बेहद शौकीन हैं।अपना रूटीन गृहकार्य निपटाकर ज्यादा से ज्यादा समय अपने घर में बनी लाईब्रेरी मे महिलाओं के साथ बिताती हैं।जिन्हें पढ़ने-लिखने का शौक है उनको साहित्य उपलब्ध करवाने में उनका सहयोग और मार्गदर्शन करती हैं।
इनका मुख्य उद्देश्य है कि ये अपनी लाईब्रेरी में निःशुल्क पठन-पाठन के लिए महिलाओ और बच्चों को पुस्तके पढ़वाएँ ताकि उनका मानसिक विकास सम्भव हो सके और विशेषकर स्त्रियाँ जाग्रत हों।उल्लेखनीय है कि ये बच्चों को निशुल्क पुस्तकें भी उपलब्ध करवाती हैं।इन्होंने बताया कि इसके लिए वे लोग जो पुस्तकें निःशुल्क देना चाहते हैं, उनसे पुस्तकें लेकर अपनी लाइब्रेरी में एकत्र करती हैं। इस तरह की कई संस्थाओ से ये ऑनलाइन भी जुड़ी हैं।पूजा जी ने बताया कि बहुत से पुस्तक प्रेमी,मित्र, प्रकाशक और संस्थाएँ इन्हें निःशुल्क पुस्तकें डाक द्वारा भेजते रहते हैं जिससे इनकी लाइब्रेरी निरंतर समृद्ध हो रही है।इनकी यह भी कोशिश है कि विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों को भी पुस्तकें उपलब्ध कराएँ।निःस्वार्थ भाव से किया जा रहा इनका यह प्रयास बेहद सराहनीय और प्रशंसनीय है।जैसा कि पूजा जी ने बताया वे मिर्जापुर (उत्तर प्रदेश) से हैं और यही इनकी कर्मभूमि है। इनका जन्म जबलपुर (मध्य प्रदेश) में हुआ और वहीं पर इनकी प्रारम्भिक शिक्षा कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय से हुई थी।ये जीवन की कई कठिनाइयों को पार करते हुए साहित्य के क्षेत्र में कदम रख कर तेजी से अपना स्थान बना रही हैं। साहित्य लेखन-पठन के साथ-साथ ये सामाजिक कुरीतियों को दूर करने के लिए आलेख भी लिखती हैं।आज ये साहित्य और सामाज विषयक लेखन के साथ-साथ स्वतंत्र पत्रकारिता में भी बराबर अपनी कलम चला रही हैं। देश की कई पत्र-पत्रिकाओं में इनकी रचनाएँ प्रकाशित होती रहती हैं। इन्होंने बताया कि इनका काव्य संग्रह और गद्य संकलन भी प्रकाशित हो चुके हैं।