
जनपद बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया गया ईद-उल-अजहा का त्यौहार
जनपद बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया गया ईद-उल-अजहा का त्यौहार
मानी कलाँ एवम् आस पास के ग्रामीण क्षेत्रों ईदगाह में मांगी गई।देश की तरक्की व अमनो अमान के लिए दुआ
डॉ.इम्तियाज़ अहमद सिद्दीक़ी
सह-सम्पादक उत्तरशक्ति,जौनपुर
(उत्तर प्रदेश)
मानी कलाँ जौनपुर(उत्तरशक्ति)सुबह से ही हजारों तयादाद में नमाजियों का जत्था मानी कलाँ पश्चिम तरफ़ ईदगाह की तरफ रवाना होने लगा लोगों की आवा जाही देखकर।हर कोई खुश नजर आ रहा था।क्योंकि ये खुशीओ का त्योहार ईद-उल-अजहा बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया गया।इस मौके भदेठी ईदगाह 6:30 बजे:सोंगर ईदगाह 6:15 बजे:भुडकुडहां ईदगाह 7:00 बजे-मानीकलां पश्चिम तरफ़ ईदगाह 6:30 बजे-लखमापुर ईदगाह 6:30 बजे-बरंगी ईदगाह 6:30 बजे:मवई जुमा मस्जिद 6:15 बजे,गुरैनी मदरसा 6:30 बजे:जन्नतुल फिरदौस मस्जिद मानी कलां 6:30 बजे:मदरसा अरबिया जियाउल उलूम (मीनार) मानी कलां 6:00 बजे:में ईद की नमाज अदा कराई गई।हाफिज रियाज़ अहमद ने अदा काराई।
इस मौके पर उन्होंने अपने खुतबे में कहा कि अगर दुनिया में अमन कायम करना है।तो हर इंसान दूसरे इंसान के साथ वैसा ही बर्ताव करें जैसा वह अपने लिए पसंद करता हो। उन्होंने बताया कि हजरत इब्राहिम अलैसलाम सलाम की सुन्नत के मुताबिक यह त्यौहार पिछले 5000 सौ सालो से मनाया जा रहा है।
जिसको इस्लाम के आखिरी पैगंबर हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहो वाले वसल्लम की उम्मत पर भी वाजिब करार दिया गया।उन्होंने कहा कि कोई भी चीज जो खुदा की तरफ से अता की गई हो वह खुद की ना समझा जाए।उसको खुदा की राह में खर्च कर देना ही सबसे बड़ी कुर्बानी है।
जोकि रमजान के पवित्र महीने पूरे होने के लगभग 70 दिन बाद इसे मनाया जाता है।इस्लामिक मान्यता के अनुसार हज़रत इब्राहिम अपने पुत्र हज़रत इस्माइल को इसी दिन खुदा के हुक्म पर खुदा कि राह में कुर्बान करने जा रहे थे।तो अल्लाह ने उनके पुत्र को जीवनदान देकर पुत्र की जगह एक दूंबा (भेड़) फरिस्तो(देवदूत) के द्वारा रखवा दिया गया।
जिसकी याद में यह पर्व मनाया जाता है।खुदा सबसे अजीज चीज अपने पैगंबर हजरत इब्राहिम से कुर्बान करवाना चाहता था।उन्होंने बहुत सारी चीजों को कुर्बान किया, लेकिन बार-बार उनको ख़ाबो के द्वारा सबसे अजीब चीज कुर्बान करने की बात कही गई।
आखिर में जब उन्होंने अपनी औलाद को कुर्बान करने के लिए छुरी चलाई तो खुदा को उनकी यह कुर्बानी बहुत पसंद आई क्योंकि उनको औलाद बुढ़ापे में खुदा की तरफ से अता की गई थी जो उनको बहुत अज़ीज़ थी।
इस मौके पर अभी एक दूसरे ईद की मुबारक देते हुए दिखे। क्या बच्चे,क्या बूढ़े, जवान सभी लोग एक दूसरे से गले मिलकर ईद की मुबारकबाद देते नजर आए। नमाज के बाद लोग अपने बच्चों के लिए खिलौनों की खरीदारी करते नजर आए इस मौके परमोहम्मद आसिफ़ सिद्दीक़ी,मोहम्मद फ़ैसल सिद्दीक़ी,मोहम्मद अफ़रीदी सिद्दीक़ी,जैन अब्दुल्ला सिद्दीक़ी,सारा सिद्दीक़ी।आफ़ताब आलम उत्तरशक्ति संवाददाता मानी कलाँ,कमालुद्दीन,अल्ताफ़ अहमद,लुकमान अहमद,जमशेद अहमद,वहाबुद्दीन,शम्स कमर,आदि