
जौनपुर सीट पर पिछड़ों के अनसुना दर्द ना साथ पाना भी भाजपा के लिए बड़ी चुनौती
जौनपुर सीट पर पिछड़ों के अनसुना दर्द ना साथ पाना भी भाजपा के लिए बड़ी चुनौती
महंगाई को दरकिनार कर अंधेरे में तीर चलाते रहे भाजपा पदाधिकारी
अनुसूचित जाति के मतों की सपा में शिफ्टिंग बनी हर का कारण
डॉ.इम्तियाज़ अहमद सिद्दीक़ी सह-सम्पादक उत्तरशक्ति
जौनपुर,लखनऊ(उत्तर प्रदेश)
शिव कुमार प्रजापति उत्तरशक्ति
तहसील संवाददाता शाहगंज जौनपुर
जौनपुर(उत्तरशक्ति)लोकसभा जौनपुर सीट 2019 में हाथ से निकली। यह दर्द बदलने के चक्कर में भाजपा के कई उड़न खटोले जौनपुर का चक्कर लगाए। जौनपुर संसदीय सीट को पाने के लिए कई कोशिशें करने के बाद भी भाजपा की चाणक्य नीति फेल हो गई। भाजपा के लिए यह सीट नाक का सवाल बनी हुई थी। यही वजह है कि भाजपा के फायरब्राड नरेंद्र मोदी ने एक, मुख्यमंत्री योगी ने आदित्यनाथ तीन सभाओं में पहुंचे। इसके बावजूद मतदाताओं को वह भाजपा की तरफ नहीं मोड़ पाऐ।
पार्टी के बड़े नेताओं ने मेहनत की लेकिन स्थानीय स्तर पर इसका कई बार अभाव भी दिखा। लंबा वक्त मिलने के बाद भी विधायक से लेकर मंत्री व स्थानीय संगठन के पदाधिकारी पिछड़ों के मतों को साधने के लिए ऐसा कुछ नहीं कर सके। जिसकी जरूरत पार्टी को थी। इसका मूल कारण बेरोजगारी और महंगाई और किचन पर हावीबजट। प्रधानमंत्री ने जौनपुर सीट को जितवाने के लिए कार्यकर्ताओं से न सिर्फ हामी भरवाई थी, बल्कि पदाधिकारी से हर हाल में जीत सुनिश्चित करने का संकल्प भी सभा में दिलवाया था।। पार्टी को उम्मीद थी कि राज मंत्री गिरीचंद यादव ओबीसी मतों को अपने पक्ष में करेंगे। जो किसी भी स्तर पर सफल नहीं हुआ। वही निकाय चुनाव में भाजपा ने जौनपुर नगर पालिका परिषद से मौर्य कार्ड खेलते हुए मनोरमा मौर्य को टिकट देकर योगी आदित्यनाथ के सभा के बदौलत चेयरमैनी पर कब्जा किया था।
राजनीति की दो दो पदों पर पिछड़े नेताओं के होने के बाद भी 2024 के चुनाव में यादव व मौर्य मतदाताओं के साथ ही अन्य पिछड़े वर्ग के लोगों का भी भाजपा से जुड़ाव नहीं हो सका।तीसरी बार भाजपा जिलाअध्यक्ष के रूप में पुष्पराज सिंह भी क्षत्रिय वोटो को पार्टी की ओर नहीं कर सके।
ऐसे में लोकसभा चुनाव में भाजपा को मिली इस हार से संगठन के पदाधिकारी की जिम्मेदारियाँ को नकारा नहीं जा सकता। इस हार से चिंता के साथ ही चिंतन की भी कठोर जरूरत है। जिससे भविष्य में इन कमियों को सुधारा जा सके और अगले विधानसभा में ऐसे फल ना मिले। वहीं भाजपा कार्यकर्ताओं को भी इस हार से सबक लेनी चाहिए।साथ ही आगे की तैयारी के लिए भी अभी से जुड़ जाना चाहिए।
पिछड़ा वर्ग को महंगाई बेरोजगारी बिजली बिल सहित कई मुद्दे को जमीन दरकिनार किया गया। परंतु डबल इंजन की सरकार अपने अहंकार में ही बयान बाजी करती रही। आम जनमानस में यह चर्चा जरूर बना है।कि अगर कहीं इसके जगह पर विधानसभा चुनाव होता तो भाजपा का सुफड़ा साफ हो जाता। जौनपुर लोकसभा सीट से बाबू सिंह कुशवाहा ने भाजपा के कद्दावर नेता पूर्व कांग्रेसी कृपा शंकर सिंह को भारी मतों से मात दिऐ।वही मछली शहर से कम उम्र की सपा प्रत्याशी प्रिया सरोज ने भाजपा प्रत्याशियों को हराया।