
डॉ रसिकेश नवजात स्वतंत्र टिप्पणीकार एवं कवि जौनपुर
डॉ रसिकेश नवजात
स्वतंत्र टिप्पणीकार एवं कवि जौनपुर
परिवर्तन की बयार चलेगी ,जनता सरकार बदलेगी
डॉ.इम्तियाज़ अहमद सिद्दीक़ी
सह-सम्पादक उत्तरशक्ति
जौनपुर,लखनऊ(उत्तर प्रदेश)
जौनपुर(उत्तरशक्ति)लोकसभा चुनाव 2024 का विश्लेषण
2014 के चुनाव के समय जो भी बातें प्रधानमंत्री मोदी करते थे और जो अच्छे दिन के नारे थे वे भारत की जनता को बहुत ही लुभावने लगे और इसका नतीजा यह था की कांग्रेस को सत्ता से हटाकर नरेंद्र मोदी काबिज हुए। पिछले 10 वर्षों के उनके कार्यकाल पर नजर डालें तो 2016 में नोटबन्दी से उन्होंने अपने विपक्षियों को जरूर वित्तीय संकट में डाला पर सामान्य जनता ने उसके लिए बहुत ही परेशानियां अनावश्यक रूप से सहन किया।
सत्ता पक्ष के लोगो को नोटबन्दी का कोई असर नहीं हुआ जैसे किसी टीके के लगे होने पर आदमी सुरक्षित वैसे ही सत्ता पक्ष को नोटबन्दी का कोई प्रतिकूल असर नहीं पड़ा।जी. एस. टी. पेपर लीक , महंगाई , बेरोजगारी , गरीबी , भ्र्ष्टाचार, लॉकडाउन जैसी समस्या ने इस सरकार को एक्सपोज किया , काले धन और खाते में 15 लाख तो नहीं आये पर लोगो को मुफ्तखोरी, मुफ्त आवास जैसी कर्महीनता की आदत डालकर अपने वोट बैंक को सुनिश्चित किया गया। राम मंदिर बनना निश्चित ही एक विवाद का पटाक्षेप हुआ और भारत के बहुसंख्यक समाज को भव्य राम मंदिर उल्लेखनीय उपलब्धि है।
भारतीय जनता पार्टी के जन्म से ही ये मुद्दा सर्वोच्च प्राथमिकता पर था जिसे पार्टी ने येन केन प्रकारेण प्राप्त किया।भारतीय जनता पार्टी मूलतः राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से निकली एक राजनीतिक दल है जिसके कारण आर एस एस का पूरा प्रभाव इस पार्टी पर है।आर एस एस डॉ. हेडगेवार की अवधारणा पर स्थापित संगठन है जिसकी मूल भावना निश्चित ही बेहतरीन है ।पर आज इससे जुड़ने वाले पदों की लालसा लिए एवं अवसरवादी ज्यादा हैं।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पुरातन कार्यकर्ताओं की जगह कांग्रेस आदि से छोड़कर आये लोगो ने ले ली है खैर अगर हम परिवर्तन की बात करें तो यह एक स्वाभाविक प्रक्रिया है जिससे सकारात्मक बदलाव होते रहते हैं। एक सरकार जिसने दस साल तक लगातार शासन किया उसके कार्यों की समीक्षा होनी चाहिए ।छह चरण के चुनावों के मतदान की प्रक्रिया सम्पन्न हो चुकी है अब बचे हुए आखिरी चरण से जो अंदेशा है की शायद जनता बदलाव की तरफ आगे बढ़ चुकी है। मोदी जी के चुनावी भाषणों में वो ओज गायब है जो था। उनके भाषणों से शालीनता और मर्यादा गायब है।और एक प्रधानमंत्री के रूप में उनकी खीझ अब उनके भाषणों में स्पष्ट दिख रही है निसंदेह मोदी जी ने भाजपा को सदैव अपनी मेहनत और कार्यकुशलता/वाकपटुता से कई विजय दिलाया है ।
पर इस बार शायद स्थिति डांवाडोल है जिसे सत्ता पक्ष के भाव भंगिमा से समझा जा सकता है। आतंकवाद जैसे मुद्दे पर निश्चित ही भाजपा ने सौ फीसदी कामयाबी पाई है पर अन्य कई आंतरिक मुद्दों पर उनका रवैया बहुत ही ढीला है।बेरोजगारी और महंगाई के मुद्दे पर जैसे वे विपक्षी पार्टियों के सता के होने पर घेरते थे जब खुद सत्ता में आये तो उसपर कोई चर्चा ही नहीं करते।
परिवर्तन होने से जनता को लाभ होता है और सत्ता पक्ष के कार्यों का आडिट भी हो जाता है।वस्तुतः लोग मोदी से कम पर उनके सांसदों से ज्यादा नाराज हैं । ये जरूरी नही की अगर बदलाव हो गया तो सब कुछ ठीक हो जाएगा पर इससे सत्ता पक्ष को कुछ आराम और विपक्ष को कुछ काम मिल जायेगा जिसमे जनता का लाभ निहित है ।बारी बारी से पक्ष विपक्ष दोनों जनता के लिए अग्नि परीक्षा देते रहेंगे और अवसरवादी और तथाकथित संघीयों की भी पोल खुल जाएगी ।मुझे लगता है भारत की जनता परिवर्तन कर के शायद प्रजातंत्र के सबसे रोचक परिणाम इस बार लोक सभा चुनाव में देने वाली है।
डॉ रसिकेश नवजात
स्वतंत्र टिप्पणीकार एवं कवि
जौनपुर